जिला जज ने दिलाई शपथ*


गोरखपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर के तत्वाधान में भारत के 70 वे  संविधान दिवस के अवसर पर नागरिकों के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य के ऊपर जनपद न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर गोविंद बल्लभ शर्मा के अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी मे प्रमुख रूप से राहुल कुमार सिंह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर, मनोज कुमार राय अपर जनपद न्यायाधीश /नोडल अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोरखपुर, सीजेएम श्रीमती तारकेश्वरी, पारिवारिक न्यायाधीश देवेंद्र प्रताप सिंह, एडीजे सुशील कुमार शशी गोरखपुर जनपद के सभी न्यायाधीश गण एवं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप शाही मंत्री अजय कुमार शुक्ला एवं तमाम अधिवक्ता गण ने शपथ लिया की भारतीय संविधान के पद चिन्हों पर चलने की   शपथ दिलाई की हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए ,तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में 26 जनवरी 1949 को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत अधिनियम और आत्मार्पित स्थापित करते हैं। तथा जिला जज ने मूल कर्तव्य पर चलने को कहा भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह है संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय से संजोए रखें और उनका पालन करें भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और अक्षुण्ण रखे देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें भारत के सभी लोगों में समरसता  और समान भातृत्व  की भावना का निर्माण करें जो धर्म भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परीक्षण करें प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन झील नदी और वन्य जीव हैं रक्षा करें और उसका समर्थन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानवर्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहे व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें जिससे निरंतर बढ़ते हुए और उपलब्धि की नई ऊंचाइयां को छू ले जो माता-पिता या संरक्षक है या जैसी स्थिति हो 6 और 14 वर्ष की आयु के बीच का प्रतिपाल्य है शिक्षा के लिए व्यवस्था करने का अवसर दिलाएं। 


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